Saturday 11 April 2020

किसी किरदार का अंत पूरी तरह नहीं होता....

किताब कभी नहीं चाहता कि उसका किरदार शुरू के पन्नों में मर जाए लेकिन उसको पता है कि कहानी उस किरदार के चले जाने के बाद ही पूरी होगी। इसलिए कभी किसी किताब, किसी किरदार का अंत पूरी तरह नहीं होता बस कुछ दिन के लिए चीजो को छोड़ दिया जाता है ताकि जो है उसे बचाया जा सके।

Sunday 2 September 2018

रेत का घर

पहले मैं रेत को समेटना चाहता था क्यूंकी मुझे ऐसा लगता था की रेत पर चलना बहुत ही आसान है, लेकिन मेरी यह गलतफ़हमी दो कदम चलने के बाद दूर हो गई फ़िर मैं दरिया में तैरना चाहता था क्यूंकी मुझे मुझे ऐसा लगता था की दरिया में तैरना कोई मुश्किल काम नहीं, लेकिन मेरी यह गलतफ़हमी भी दो लहरों के बाद दूर हो गई फ़िर एक दिन मैने कुछ नहीं किया दरिया को रेत से और रेत को दरिया से मिल जाने दिया और आज मेरा रेत का एक घर है और ठीक मेरे घर के बगल से ही एक दरिया बहती है...

Saturday 23 June 2018

कर्म

महाभारत में जब युद्ध दो महायोध्दाओं का था अर्जुन और और कर्ण के मध्य उस दिन युद्ध से पूर्व श्री कृष्ण जी ने अर्जुन से कुछ वचन लिए । कि आज भले ही इस धर्म युद्ध मे मैं तुम्हारा सारथी हूँ , परन्तु आज तुम मेरे आदेश का पालन करोगे अर्जुन । अर्जुन ने सहमती जतायी । कृष्ण जी ने कहा हे अर्जुन एक बार फिर तुम अपने अस्त्र - शस्त्र का पुन: निरीक्षण कर लो , क्योंकि आजका युद्ध इतिहास बनेगा । और श्री कृष्ण जी ने रथ रंणभूमि की ओर मोड़ दिया। और उनके सामने थे विश्व के सबसे बड़े धनुर्धारी कर्ण । कर्ण ने युद्ध का एलान किया , परन्तु कृष्ण जी ने अपना रथ दूसरी ओर मोड़ कर कर युद्ध छोड़ के रथ को तेजी से भगाते हुए जाने लगे , ये देख अर्जुन को बड़ा आश्चर्य हुआ । और कृष्ण जी से कहने लगे ये क्या कर रहे है माधव ? ये युद्ध के नियम के खिलाफ हैं । आप युद्ध छोड़ के पीठ दिखा के भाग नही सकते । ये देख कर्ण ने भी अपना रथ उसी दिशा मे मोड़ दिया और बारंबार अर्जुन को युद्ध के लिए ललकारने लगे । की कायरो की भाँति युद्ध छोड़ के क्यूँ भाग रहे हो अर्जुन , युद्ध करो मुझसे । अर्जुन ने कई बार कृष्ण जी से रथ रोक करके युद्ध करने की इच्छा जताई परन्तु कृष्ण ने एक बार भी उत्तर नहीं दिया । और वो रथ को तेजी से युद्ध भूमि से दूर ले जाने लगे । इधर पीछा कर रहे कर्ण ने फिर से दहाड़ लगायी , अर्जुन रुको और मुझसे युद्ध करो , आज मैंने अपने मित्र को वचन दिया है कि आज युद्ध में आर पार की लड़ाई लड़के आऊंगा। अर्जुन ने पुन: कृष्ण जी से रथ रोकने का आग्रह किया , इस बार कृष्ण जी ने उत्तर दिया , कि अर्जुन आज मैंने तुमसे कहा था की आज तुम मेरे आदेश का पालन करोगे । अर्जुन चुप हो गए , तभी एकाएक कृष्ण जी ने रथ एक जगह रोक दिया । लेकिन पीछे कर्ण का रथ एक दलदल मे फँस गया और उनके हाथ से धनुष छूट दूर गिर गया , और इससे पहले की कर्ण संभल पाते, कृष्ण जी ने अर्जुन से कहा कि अब तुम कर्ण को युद्ध के लिए ललकारो । अर्जुन ने कहा ये अनीति है, ये धर्म के विरूद्ध है । परन्तु श्री कृष्ण जी ने बात दोहराते हुए यही कहा । अर्जुन ने कृष्ण जी की बात मानते हुए कर्ण को युद्ध के लिए ललकारा , कर्ण तो पहले कुछ समझ नही पाए परन्तु बार बार युद्ध की ललकार सुनकर उन्होंने अर्जुन को उत्तर दिया , ' अभी मैं रथविहीन हूँ , शस्त्रविहीन हूँ । मैं युद्ध नहीं कर सकता । लेकिन अगर तुम्हे मुझपर प्रहार करना है तो तुम कर सकते हो । मैं अपना रथ का पाहियाँ दलदल से निकालने जा रहा हूँ । अर्जुन ने श्री कृष्ण जी को बोला कि किसी निहत्थे पर प्रहार करना युद्ध नीति और धर्म के विरुद्ध हैं । कृष्ण जी ने फिरसे अर्जुन को चेताया कि आज युद्ध से पूर्व क्या वाचन उन्होंने दिए थे । तब अर्जुन ने न चाहते हुए भी कर्ण प्रहार कर दिया । और कर्ण वहीं घुटनों के बल गिर गए । कर्ण अर्जुन के इस प्रहार की पीड़ा सहन कर रहे थे , परन्तु उनकी आँखों में आंसू नहीं थे । वरन् कुछ प्रश्न थे, उनकी आँखों में कृष्ण जी से । तब श्री कृष्ण जी ने समय को वहीं रोक दिया । और कर्ण के पास गए और कर्ण को देवलोक ले गए।कर्ण ने वहा एक एक करके प्रश्न पूछने शुरू किए माधव से , "क्यूँ मुझपर तब प्रहार कराया जब मैं रथविहीन था , शस्त्रविहीन था । क्यूँ मुझपर अर्जुन से तीर चलवाये जब मैं निहत्था था । " "क्यूँ मुझे सारी ज़िन्दगी शूद्र पुत्र कहा गया , जबकि मैं एक क्षत्रिय था । " "क्यूँ मैं इस रणभूमि मं अपनों के विरुद्ध लड़ रहा हूँ "। क्या यह अनीति नहीं है। क्या ये पाप नहीं है। क्या यही आपकी धर्मस्थापना हैं। तब श्री कृष्ण बोले , "जब भरी सभा मे द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था , तब तुम भी सभी की भाँति चुप थे कर्ण , ये तुम्हारा पाप था "। पांडव भले उस समय कुछ नहीं कर पाए , परन्तु उन्होंने पाप के खिलाफ आवाज़ उठाई , और तुम मौन रहे वत्स , ये पाप था तुम्हारा । जितना पाप दुशाशन ने किया था उतना ही पाप तुमने चुप रहकर किया था। "जब अभिमन्यु को चक्रव्यूह में मारा जा रहा था , तब भी तुम चुप थे वत्स , वह भी तुम्हारा पाप था "। तुमने धर्म का साथ ना देकर इस धर्म युद्ध मे पाप का साथ दिया इसलिए तुम पाप के पक्ष में खड़े हो वत्स , तब कर्ण की आँखों मे आंसू आने लगे जब उन्होंने देखा की जो तीर अर्जुन ने उनपर चलाये थे उसका घाव माधव के शरीर पर भी था । कर्ण ने कहा हे माधव मुझे ले चलिए अपने साथ इस अंतिम समय मे मैं आपको अपना सारथी चुनता हूँ । मुझे मेरे पापों से मुक्त करिए माधव । कृष्ण जी ने कहा मैं हमेशा से तुम्हारा सारथी बनना चाहता था , आज तुमने इन अंतिम क्षणों में मुझे अपना सारथी चुनकर कर तुमने अपने पापो से मुक्ति पा ली है । अब बस तुम्हें इस शरीर को त्याग दूसरे वस्त्र नुमा शरीर को धराण करना होगा । कर्ण ने कहा मैं आपके बताये मार्ग पर चलने के लिए तैयार हूँ, ले चलिए मुझे । कृष्ण जी कर्ण को पुन: रणभूमि में ले आये , और समय को पुन: वहीं से शुरू किया जहाँ पर रोका था । और अर्जुन से कहा अंतिम प्रहार करो कर्ण पर , कर्ण को पाप मुक्त करो अर्जुन । ये तुम्हरा सौभाग्य भी है और दुर्भाग्य भी । और तब अर्जुन ने अंतिम प्रहार कर्ण के कंठ पर किया । और कर्ण की जीवन लीला समाप्त की। महाभारत के समय में ले जाने का मेरा एकमात्र उद्देश्य ये था कि मैं आपको याद दिला सकूँ कि कर्म कभी आपको आपके कर्मो से माफ़ी नहीं देता । जैसे कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा आपको । जो गलत कर रहा है वो तो पापी है ही , वरन् जो पाप होते हुए देखकर अनदेखा करता है वो भी पाप का उतना ही भागीदार है। इसीलिए कभी गलत होते हुए न देखे न गलत करें , और अगर उस समय आप गलत के खिलाफ लड़ नहीं सकते तो आवाज़ उठाये । आपकी एक आवाज़ गलत के खिलाफ गलत करने वालों के लिए चेतवानी हो सकती है कि वो ऐसा ना करें, बुराई के खिलाफ आवाज़ उठएँ,आपके साथ के लिए आएंगे लोग पहले आप अपना प्रयास तो करिए , यह मत सोचे की पहले कौन बोलेगा। पहले गलत के खिलाफ आप आगे आये , एकता मैं बड़ा बल है इसबात को समझें ।

Monday 30 April 2018

ऐसा भी कुछ इंतजाम करे ।

ऐसा भी कुछ इंतजाम करे । तमिलनाडू- 34000 आंध्र प्रदेश-43000 कर्नाटका-34000 केरला-28000 कोचीन,के आस पास-1800 साऊथ इंडिया-108000 महाराष्ट्र-4500-0 मथुरा वृंदावन-5000 हिमाचल प्रदेश-2000 सरकारी लिस्ट में- के अनुसार ये सख्या हैं हमारे यहाँ मंदिरों और तीर्थ धामों की । 300000 से ज्यादा की संख्या में मस्जिद भी है हिंदुस्तान में। हिंदुस्तान में मंदिर मस्जिद की संख्या आप गिन नहीं सकते क्युकी ये नामुमकिन के बराबर है,वो इसलिए क्युकी यहाँ हर घरके आंगन में तुलसी मैया और घर के किसी कोने में मंदिर है । और नमाज के लिए चबूतरा हैं । इसीलिए गिनती करना कठिन है । और एक सर्वे के मुताबिक हिंदुस्तान मे हम जहा भी है उसके 7 किलोमीटर के आस पास मंदिर है हम हिंदुस्तान में बाकि सभी चीजों की गिनती कर सकते है ,जैसे इंसान , हम अपने आप को गिन सकते है , हम अपने घर अपने शहर गिन को सकते है । जैसे - हिंदुस्तान मे कुल -108000 गाँव तय और बाकि की गिनती चल रही है । क़स्बे-638000 के आस पास है बड़े शहरों मैं हमारे पास 400 शहर है। हमारे यहा अस्पताल सरकारी -35416 से 59332 के आस पास है । जिनमे डॉक्टर की संख्या मात्र 2% है गर्व की बात है या शर्म की नहीं कह सकते निजी बड़े अस्पतालों में -16000 के आस पास और हाँ हिंदुस्तान में स्कूल,कॉलेज भी गिनती की जा सकती है। नाम के बारबार हैं अध्यापक भी जो ना काम के बराबर है अब बात पर आते है। एक परमात्मा को पूजने के लिए हमने कितने मंदिर मस्जिद बना डाले,या यु कहे की हमने भगवांन के आड़े खुद को ही बाँट डाले, और इतने मंदिर मस्जिद होने के बावजूद अभी भी हम एक और मंदिर मस्जिद के लिए लड़ रहे है। कश्मीर के चंद टुकड़ो के लिए देश विदेश के दौरे कर रहे है। बहार से देश को सुरक्षित और क्या अन्दर से हम उसे खोकला नहीं कर रहे है। हमारी मीडिया तो धन्य है। वो सोनू निगम ,और मंत्रियो के बयान में इतना उलझ जाता है की उसे देश के और मुद्दों का पता ही नही चलता, या यु कहे हमें जो चीज़ देखने में मजा आता है वो वही दिखाते है। देश का किसान मर रहा है । गर्व से कहो हम कृषि प्रधान देश है, देश की महिलओं के साथ बलात्कार किया जा रहा है,उनके मुहँ में तेजाब घोला जाता है, गर्व से कहो हम पुरुष प्रधान देश है। देश का नौजवान पढ़ाई के बाद नौकरी न पाने पर अपनी जान दे रहा, गर्व से कहो हम युवा शक्ति का देश है। हिंदू-मुस्लिम मंदिर-मस्जिद के लिए लड़ रहे, गर्व से कहो हम सब एकता के भेष में हैं। पढ़ा लिखा नौजवान बाजार में जूते सी रहा , और अगूठा छाप देश का भविष्य बना रहे, गर्व से कहो हम कल की नयी सोच हैं । रहने को छत नही,खाने को खाना नहीं , और पहनने को कपड़े नहीं, गर्व से कहो हम एक साथ दस मिसाइल आकाश में छोड़ने की होड़ में है। किसान कर्ज मे डूबा मरता जा रहा, गर्व से कहो फिर भी हम दुसरे देश से उधार लेके बुलेट ट्रेन को चुनावी मुद्दा बनाने के जोश में है। 100 रूपये की खातिर यहा हम एक दुसरे को मार रहे , गर्व से कहो हम शांति प्रिय महोदय हैं। अब एक लाइन मेरी कलम के लिए भी । कागजों पर लिखने वाले जेल में और हर चुनाव में हमको टोपी पहनाने वाले इसी देश के पार्लियामेंट में है। देश को बहार से बचाने से क्या फायेदा जब अन्दर ही अंदर ये खोकला होता जा रहा है , सरकारे आएगी जाएगी , लोग बदल जायेगे । लेकिन अगर थोड़ा थोड़ा हम खुद को बदल ले यार तो सच में ये देश बदल जायेगा। चलो छोड़ो यार मंदिर मस्जिद की बाते चलो कुछ काम करे ,तुम अपने घरको अयोध्या बनाओ,मैं अपने घर को मदिना बनाऊ , ऐसा भी कुछ इंतजाम करे । और इस ज़मी को पहले जितना पाक़ बना दे की ख़ुद ख़ुदा निचे आकर हमारी बात करे।

Sunday 18 March 2018

नवरात्रि की ढेर सारी शुभकामनाएं

नवरात्रि की ढेर सारी शुभकामनाएं उन्हें भी,जो एक के बाद एक सरसरी निगाह से देख भर के किसी देवी का आंखो से बलात्कार कर देते है। जो काले पीले चस्मे के पीछे से,ब्रा का साइज और कलर, अपनी सोच के हिसाब तय कर लेते है । ये तब तक उन्हें देखते है, जबतक वो खुद ना केह दे, "कपड़े उतार दूं क्या ? अच्छे से देखलो "और उन्हें भी ढेर सारी शुभकामनाएं , जो किसी गली में भटकी हुई किसी अकेली देवी को उसकी चौखट तक छोड़ के आते है, बदले में अगली सुबह उससे नंबर नहीं मांग के आते है। और उन्हें भी ढेर सारी शुभकामनाएं जो, किसी देवी के कपड़े उतारते देख, फोन ऑन करके बस वीडियो बनाते है, और रात को उसकी सुरक्षा का जिम्मा फेसबुक और सोशल साईट पर उठाते है

Thursday 15 March 2018

shame_on_you humanity

मेट्रो नहीं चहिये साहब
स्टेडियम भी नहीं चाहिए
रोजगार भी अपने पास रख लो
ये आवास और ये झूठे विश्वास भी रखलो 
मेरा स्कूल का बस्ता और फट्टी किताबे भी ले लो
बस थोड़ी सी सांसे दे दो,
कल से दम घुटा जा रहा हैं
ऐसा लग रहा है, की किसी ने गले के ऊपर लाशो का बोझ रख दिया हो
ऐसा लग रहा है,, की किसी और के हिस्से की सांसे लिए जा रहा हूँ!
इतनी घुटन हो रही है की सांसे ऊपर चढ़ाई ही ना जा रही है,
हाथ कांप कर रहे सोचने में ही की बिना सांसो की ज़िन्दगी कैसे होती है अभी पल भर के लिए बिना सांसे के जीने की सोची, कसम से हो ही नहीं पाया !
फिर
कल उन बच्चों का क्या हुआ होगा?
जब नन्हे-नन्हे पैर उनके पलने में छटपटाये होगे,
कमाल है कुछ सुनाई ही नहीं दिया,
लेकिन सुनाई देगी,
साहब याद रखियेगा ये, हिसाब होगा ,
यहाँ नहीं तो ऊपर होगा, लेकिन इन सांसो का हिसाब तो देना होगा .
और हा साहब राम मंदिर, में भी जाके ये पाप नहीं धुलने वाले...

Thursday 8 March 2018

ये आग फैलाना बंद करिए


मुझे सोशल मीडिया काफी पसंद है, और इसी से मैंने काफी कुछ सीखा भी है. लेकिन पिछले काफी दिनों से मैंने लिखना बंद कर दिया था. और सभी इसका कारण पूछ रहे थे.

लेकिन सच तो ये है की मैं अब भी लिखता हूँ, बस फेसबुक पर लिखना बंद कर दिया है, वो इसलिए क्योंकि यहाँ हर जगह हिन्दू-मुसलमान मंदिर-मस्जिद, पर तर्क चलते है

हमें हर चीज़ फेसबुक पर अपडेट करने की आदत पड़ चुकी है, बगल में खड़ा लड़का अगर किसी लड़की से बदतमीजी कर रहा तो सबसे पहले हम फेसबुक पर लाइव विडियो बनायेगे फिर कुछ बोलेगे,

अगर कोई बच्चा भूख से रो रहा है तो, सबसे पहले उसकी फोटो क्लिक करेगे तब जेब में हाथ डालके सिक्के खंगालेगे,

कुछ बुरा होता हुआ दिखेगा तो अपनी आंखे बंद करके फ़ोन की आंखे खोलेगे.

हर चीज़ बस सोशल करनी है,

भाई पहले सामाजिक बनो तो, समाज के लिए कुछ करो तो सही, ज़मीं पर थोड़ी इन्संनियत दिखाओ तो सही,

अभी हाल ही में गोरखपुर का मामला देखा, फेसबुक पर खूब हाय तौबा मची,फलाना ढमाका, लेकिन क्या हम से किसी ने गोरखपुर जाके उन बच्चो के परिवार से मिलने की कोशिश की?वहा जाके उनका दर्द बाँटना ? चाहा नहीं न ? हम बस दिखावा करते है ,

लाइक,कमेंट,तारीफ ने हमें इतना बांध दिया है की, हमारी भावनाए तक बिकाऊ हो गयी है, जो कुछ लाइक कमेंट में बिक जाते है.

ये जो पोस्ट आप कॉपी पेस्ट करते है, वो महज पोस्ट नहीं है, ये एक आग है, और

ये आग फैलाना बंद करिए, इसकी ताकत का अंदाज़ा आपको अभी नहीं है, एक बार दो बार, लगातार अगर आप कहेगे की वहा वो चल रहा घट रहा तो , वो सच हो न हो. लेकिन कुछ असर जरुर छोड़ जाती है,

और मुझे ये समझ नहीं आता की देश में इतने मुद्दे है इतनी परेशानियाँ है ,फिरभी क्यों लोग धर्म कर्म और आग पर ही क्यों टिके है? सिमटे है

ईलाहाबाद में अगर एकदिन ढंग से बारिश हो जाये तो, पूरे शहर में नाव चलाने जैसा हाल हो जाता है.

शहर के अलग-अलग हिस्सों में आज भी इतनी गंदगी है की बिना मुह पे रुमाल रखे हम वहां से नहीं निकल सकते ,

भाई सलाद में टमाटर नहीं देता ढाबे वाला इतना सस्ता हो चला है टमाटर.



9 बजे ऑफिस के लिए निकलो तब भी बॉस से डांट पड़ ही जाती है.

ट्रैफिक भाईसाब, ट्रैफिक, ऑटो से कूद जाने का मन करता है, इतना गुस्सा आता है कभी-कभी

परेड पर जाने वाली लड़की का बलात्कार हो जाता है , नेता जी फिर से झूठे वादे में फंसा जाते है.

पानी इतना गन्दा है शहर का की ,100 रूपए का पानी खरीद के पीना पड़ता है पूरे दिन.

गाय माता पूरे शहर में पन्नी खाती, धूल फांकती नजर आती है, गौ रक्षको से हाथ जोड़ के विनती है की इनको कोई घर दीजिये, इन्हें मारने वाले कम है, ये खुद ही भूख से दर-दर भटक के मर जाती है,

सिग्नल पर गाड़ियों से ज्यादा हाथ में कटोरे पकड़े बच्चे नजर आते है, दिल रो जाता है, कितनो की भूख मिटाऊ कितनो को भगवन के सहारे छोड़ दूँ.

नौजवान आत्महत्या कर रहा है, नौकरी कहा है? मैट्रिक्स पास मुझे झलवा छोड़ के आ रहा है, ईजियंरिग में पढाई करने वाला मेरे बाल काट रहा है,

काम पर सवाल नही उठा रहा , बस एक सवाल पर सवाल उठा रहा की,क्या मेरा भी यही हाल होगा, ?

Station पर खुला व्यापार नजर आता है, जहा चंद टुकड़ो के लिए, राते बिक जाती है,

ऐसे एक नही,दस हजार मुद्दे, और परेशानियाँ है, जो हिन्दू,मुसलमान,गाय मंदिर-मस्जिद के आगे दिखते ही नहीं.

अरे मत परेशां हो, आज भी गाय माता को पूजा जाता है

मस्जिद में मुसलमान से ज्यादा हिन्दू नजर आता है, गणेश पूजा के लिए चंदा एक मुसलमान भी देता नजर आता है.

मेरे हासटल में शबाज़ और वाछित साथ में खाना खाते नजर आते है,

ताईबा दीदी के नमाज़ लिए ऑफिस को ही हम मस्जिद बनाते है,

कही कोई खतरा नहीं हैं भाई,ज़मीनी स्तर पर सबकुछ सही है, ये फेसबुक पर इधर उधर लिखना आग फैलाना बंद करिए, इंसानियत को बस इन्सान से ही खतरा है,

और याकिन मानिये बड़ी फ़िक्र हो रही है,की कुछ दिन और युही चलता रहा तो

जहा से शुरुवात की थी हमने फिरसे वही आके रुक जायेगे,

और सच में तब आप लिख के भी कुछ नहीं कर पायेगे,

धर्म बचाने की कोशिश में इंसानियत का क़त्ल करना बंद करिए, जिसने तुम्हे बनाया वो खुद की हिफाज़त कर लेगा, हो सके तो थोड़ी इबादत घर के मंदिर और पलग पर लेती माँ के कदमो में दिखा लो, यहाँ से ज्यादा शुकून वहां मिलेगा.